Muslim Marriage: रबी-उल-अव्वल इस्लामिक हिजरी कैलेंडर का तीसरा महीना है. इसे इस्लाम में बहुत ही फजीलत वाला महीना माना जाता है. इसका कारण यह है कि इस्लामिक मान्यता के मुताबिक, इसी महीने पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद की पैदाइश हुई थी. यही कारण है कि इस महीने इबादत, जिक्र और दरुद पढ़ने का महत्व काफी बढ़ जाता है.
बात करें निकाह यानी शादी-विवाह की तो, हिंदू धर्म में विवाह को जिस तरह शुभ-मांगलिक संस्कार माना जाता है. उसी तरह से इस्लाम में भी निकाह बहुत ही पसंदीदा अमल है. अभी रबी-उल-अव्वल का महीना चल रहा है. आइये जानते हैं क्या इस महीने में निकाह करना जायज होता है या नहीं.
रबी-उल-अव्वल में निकाह करना जायज या गलत (Can Get Nikah in Rabi al Awwal)
रबी-उल-अव्वल में निकाह को सही या गलत मानने के अलग-अलग नजरिए हैं. कुछ लोग इस महीने को निकाह के लिए अच्छा मानते हैं तो वहीं कुछ का मानना है कि, इस महीने निकाह या किसी बड़े जश्न के आयोजन से बचना चाहिए और पैगंबर की यादगारी में समय बिताना चाहिए.
अगर इस्लाम के नजरिए से देखा जाए तो, रसूलुल्लाह ने फ़रमाया है- “किसी चीज में बद-शगुनी नहीं है.” यानी इस्लाम में किसी महीने या दिन को अशुभ मानना ग़लत है.
कुरआन और हदीस में निकाह के लिए किसी भी महीने को मनहूस (अशुभ) नहीं बताया गया है. इस्लाम के मुताबिक हर दिन और हर महीना अल्लाह का बनाया हुआ है. इसलिए कोई दिन अशुभ नहीं हो सकता. इसलिए रबी-उल-अव्वल में भी निकाह करने पर कोई रोक नहीं है.
इन्हीं कारणों से रबी-अल-अव्वल महीने में निकाह करना या निकाह का प्रस्ताव रखना कोई गलत बात नहीं है. यह न तो मकरूह है और न ही हराम. इसलिए अगर कोई रबी-उल-अव्वल में निकाह करता है तो इसे जायज माना जाएगा.
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