



1 दिन पहलेलेखक: आशीष तिवारी
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दुबई में आयोजित दैनिक भास्कर रियल्टी अवॉर्ड 2025 के दौरान एक्टर अनुपम खेर ने बिल्डर और एक्टर में समानता की बात की। अनुपम खेर ने कहा कि हर प्रोफेशन में अच्छे और बुरे लोग होते हैं। कोई भी प्रोफेशन हो मेहनत से सभी सपने पूरा होते हैं। एक्टर ने दैनिक भास्कर और अपनी फिल्म ‘खोसला का घोसला’ का उदाहरण देते हुए इस बात को बहुत ही सहज अंदाज में समझाया।

अनुपम खेर से जब पूछा गया कि बिल्डर और एक्टर का समाज और सपने को आकार करने में बहुत योगदान है, इसे किस तरह से देखते हैं?
इस सवाल के जवाब में अनुपम खेर ने अपनी फिल्म ‘खोसला का घोसला’ का उदाहरण देते हुए कहा- मैंने एक फिल्म ‘खोसला का घोसला’ की है। बिल्डर भी अलग-अलग होते हैं। कुछ बिल्डर खुराना जैसे भी होते होंगे।
(अवॉर्ड फंक्शन में बैठे लोगों को संबोधित करते हुए अनुपम खेर ने कहा) मैं उम्मीद करता हूं कि आप लोगों में से कोई खुराना जैसा नहीं है। क्योंकि अगर दैनिक भास्कर ने आपको अवॉर्ड देने के लिए चुना है तो थोड़ा तो रिसर्च किया होगा।
‘खोसला का घोसला’ के चलते जब भी किसी के साथ कुछ ऐसा होता है तो उसकी हेडिंग यही होती है कि इसके साथ ‘खोसला का घोसला’ हो गया। मैं समझता हूं कि व्यक्ति, पेशे से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। एक ही घर में दो भाइयों को मां-बाप एक ही जैसा शिक्षा देते हैं। फिर भी एक भला इंसान बनता है, दूसरा नहीं बनता है।
ये इंसान की अपनी चॉइस है कि वह क्या करना चाहता है? मेरी अपनी चॉइस है कि मुझे एक्टिंग करनी है। यह मेरे जीवन का एक हिस्सा है, लेकिन मेरा जीवन नहीं है। मेरा जीवन वह है जो अपने आप को बनाता हूं, जो मैंने सोचा है।

सच से बड़ा कुछ नहीं होता है
यहां मुझे जो शील्ड मिली है, उसमें लिखा है कि ‘सच से बड़ा कुछ नहीं’। मैं यह मानकर चलता हूं। मैं अपने आप से कभी झूठ नहीं बोलता हूं। हां, किसी को तकलीफ ना पहुंचे, अगर इस वजह से झूठ बोलना पड़े तो वह झूठ नहीं है। क्योंकि मेरा दिल दुखाने का मतलब नहीं है।
हम सभी लोग यूनिक हैं
हमारे एक्टिंग प्रोफेशन में भी कुछ बहुत अच्छे हैं, कुछ अच्छे नहीं हैं। उसी हिसाब से मैं यह सोचता हूं कि बिल्डर के प्रोफेशन में भी होंगे। जो लोग अच्छे होते हैं वो हर प्रोफेशन में अच्छे होते हैं। यह निर्भर करता है कि आप किस माहौल में बड़े हुए हैं।
मेरे हिसाब से तो हर इंसान अच्छा होता है। अगर हमें बनाने वाला ऊपर वाला है तो उनका प्रोडक्ट कभी खराब नहीं होगा। शायद इसीलिए हम इतने अलग-अलग हैं। हमारे फिंगर प्रिंट किसी से नहीं मिलते हैं। इसका मतलब यही है कि हम सभी यूनिक लोग हैं।

हर सपना पूरा हो सकता है
आज यहां जितने भी लोग बैठे हैं, उनसे एक ही बात कहना चाहूंगा कि ‘All dreams come to true’ मैं तो इस लाइन को जिया हूं। मुझे लगता है कि हर सपना पूरा हो सकता है। सिर्फ मेहनत करनी है और थोड़ी ईमानदारी दिखानी है। मैं हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ा हूं। 5वीं कक्षा से ABCD पढ़नी शुरू की थी, लेकिन आज मैं अमेरिकन और ब्रिटिश फिल्में कर चुका हूं।
मेरी एक फिल्म को ऑस्कर में आठ नॉमिनेशन मिले थे। अगर आप मेहनत करते हैं तो आपके सारे सपने पूरे हो सकते हैं। अगर आप फेलियर से नहीं डरते हैं तो कुछ भी कर सकते हैं। 69 साल पहले दैनिक भास्कर शुरू हुआ था। आज 69 सेंटर से यह अखबार निकल रहा है। इसलिए मैं बार-बार कहता हूं कि हर सपना पूरा हो सकता है।
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