गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष की इस हरकत को लोकतंत्र के लिए कलंक बताया. उन्होंने कहा, यह न केवल निंदनीय है बल्कि हमारे लोकतंत्र को भी कलंकित करने वाला है. राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की राजनीति अपने निम्न स्तर पर आ पहुंची है. उनको यह बर्दाश्त नहीं हो पा रहा कि कैसे एक गरीब मां का बेटा बीते 11 वर्षों से प्रधानमंत्री पद पर बैठा हुआ है और अपने नेतृत्व में देश को निरंतर आगे ले जा रहा है. कांग्रेस ने सारी मर्यादा, सारी सीमाएं लांघ दी हैं. यह हर मां का, हर बेटे का अपमान है, जिसके लिए 140 करोड़ देशवासी उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे. अमित शाह का संदेश साफ था, यह लड़ाई सिर्फ मोदी की नहीं, यह हर भारतीय मां के सम्मान की लड़ाई है.
ललन सिंह ने विपक्ष को आईना दिखाया
जब-जब मोदी पर निजी हमले हुए, भाजपा और मजबूत हुई
भारतीय राजनीति में इतिहास गवाह है कि हर निजी हमले ने नरेंद्र मोदी को और मजबूत किया है. लोगों की सहानुभूति ऐसी मिली है कि वे और मजबूत होकर निकले हैं. हर बार विपक्ष हाथ मलता रह जाता है. यकीन न हो तो इन उदाहरणों को देख लीजिए…
2014: ‘चायवाला ताना’ और पीएम की कुर्सी
2017-18: ‘नीच’ टिप्पणी और 2019 की ऐतिहासिक जीत
गुजरात चुनाव के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी को ‘नीच’ कहा. इस टिप्पणी ने पूरे देश में गुस्सा पैदा कर दिया. भाजपा ने इसे जनता के सामने ‘अहंकारी राजनीति’ का चेहरा बनाकर पेश किया. नतीजा यह हुआ कि मोदी को जनता का बेटा मानने वालों की संख्या और बढ़ गई. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 303 सीटें जीतकर और बड़ी जीत दर्ज की. यानी एक गाली ने मोदी की छवि को गरीबों और आम जनता का हमदर्द और मजबूत कर दिया.
2024: निजी हमले और भाजपा की सहानुभूति लहर
यानी हर बार जब विपक्ष ने निजी हमला किया, जनता ने मोदी को और बड़ा जनादेश दिया. अपमान, भाजपा की सबसे बड़ी ताकत बन गया. अब एक बार फिर, विपक्ष ने वही गलती दुहराई है- इस बार निशाना मोदी की मां बनीं. नतीजा क्या होगा, यह अंदाजा लगाना मुश्किल है.
चलिए बिहार के गांवों और कस्बों में चलते हैं. चौपालों पर, हाट-बाजारों में, चाय की दुकानों पर, हर जगह एक ही चर्चा है. मरी हुई मां का अपमान कोई कैसे कर सकता है. लोग इसे बिहार का अपमान मान रहे हैं. सोशल मीडिया में लोग सवाल पूछ रहे हैं, विपक्षी नेताओं पर तंज कस रहे हैं- कह रहे कि तुम्हें शर्म भी नहीं आती? क्या यही है तुम्हारी राजनीति? क्या यही है तुम्हारा संस्कार?
बिहार चुनाव से पहले आत्मघाती गलती
राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और इंडिया अलायंस के उनके साथी सोचते होंगे कि वे मोदी पर वार कर रहे हैं. लेकिन हकीकत यह है कि उन्होंने अपनी ही पीठ पर चुनावी छुरा घोंपा है. मां का अपमान कर उन्होंने मोदी को कमजोर नहीं किया, बल्कि जनता की सहानुभूति उनके पक्ष में कर दी. उन्हें शायद अंदाजा नहीं कि यह वही बिहार है जिसने लालू-राबड़ी के जंगलराज को नकारकर विकास की राजनीति को चुना. यहां लोग गाली-गलौज नहीं, काम और ईमान चाहते हैं. चुनाव पास हैं. विपक्ष ने मां के अपमान का मुद्दा भाजपा और एनडीए की झोली में डाल दिया है. अब एनडीए हर सभा, हर रैली में यही सवाल पूछेगा- जवाब देना मुश्किल हो जाएगा.
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