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Explainer: भारत ने GDP में बड़ी छलांग लगाई, इसका क्या मतलब, ये कैसे हुआ और फायदा क्या TODAY TOP NEWS


नया वित्त वर्ष भारत के लिए खुशी की बड़ी खबर लेकर आया है. वित्त वर्ष की पहली ही तिमाही में भारत की जीडीपी यानि सकल घरेलू उत्पाद ने बड़ी छलांग लगाते हुए सारे अनुमानों को पीछे छोड़ दिया. पहली तिमाही का मतलब है अप्रैल से लेकर जून2026 के जीडीपी के रिजल्ट. जानते हैं इसकी वजह क्या है और देश को इससे क्या फायदा होगा.

भारत बीती तिमाही में 6.7 परसेंट जीडीपी का अनुमान लगा रहा था लेकिन ये 7.8 फीसदी आया. इसका मतलब ये है कि हमारी आर्थिक गाड़ी बिल्कुल सही दिशा और सही पटरी पर भाग रही है. ये जीडीपी पिछले पांच तिमाहियों में सबसे बेहतर है, जो जाहिर करता है कि हम आगे बढ़ने की दशा दिशा सही है.

सवाल – क्या होती है जीडीपी , इससे कैसे देश की आर्थिक सेहत मापी जाती है?

– जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) किसी देश में एक निश्चित समयावधि में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य का माप है; इसे किसी देश की आर्थिक सेहत का सबसे अहम पैमाना भी माना जाता है. जीडीपी का उपयोग आमतौर पर यह जानने के लिए किया जाता है कि देश की अर्थव्यवस्था ने कितना अच्छा या खराब प्रदर्शन किया है. जीडीपी में बढ़त से संकेत मिलता है कि देश में आर्थिक गतिविधियां तेज़ हैं, रोजगार और उत्पादन बढ़ रहे हैं तथा लोगों का जीवन स्तर सुधर रहा है.

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अगर जीडीपी गिरती है या धीमी रहती है, तो इसका मतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ी है, इसका असर रोजगार, आय, मांग, निवेश सहित सरकारी योजनाओं और लोगों के जीवन पर पड़ता है. जीडीपी के आंकड़े ये बताते हैं कि सरकार की नीतियां, व्यापारिक माहौल, और देश की आर्थिक दिशा किस स्तर पर है, जिससे नीति निर्धारण में सुविधा होती है.

सवाल – भारत की पिछली तिमाही की जीडीपी 7.8 फीसदी है, इसका मतलब क्या है?

– इसका मतलब ये है कि जीडीपी ने बड़ी छलांग लगाई है. देश की अर्थव्यवस्था में उत्पादन, सेवाओं और समग्र आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है. 7.8% की वृद्धि बताती है कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत गति से बढ़ रही है. ये वैश्विक स्तर पर सबसे तेज बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में एक है. यह पिछले साल की समान तिमाही (6.5%) से काफी बेहतर है. इससे ये भी पता चलता है कि निवेश, उपभोग और निर्यात जैसे कारक सही जगह हैं, अच्छा काम कर रहे हैं.

सवाल – ये क्यों हुआ?

– ये फैक्टर के प्रदर्शन पर आधारित है. जिसमें हमारी कृषि, सर्विस सेक्टर, उत्पादन, लोगों की जेब, इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार का खर्च और निर्यात सभी शामिल हैं. इसके पांच प्रमुख कारकों की स्थिति इस तरह रही
सेवाएं क्षेत्र में मजबूत प्रदर्शन – आईटी, वित्तीय सेवाएं और अन्य सेवा-आधारित उद्योगों ने प्रमुख योगदान दिया, जो भारत की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा हैं.

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सरकारी खर्च और सार्वजनिक निवेश में बढ़ोतरी – इंफ्रास्ट्रक्चर, विकास परियोजनाओं और सब्सिडी पर अधिक व्यय ने अर्थव्यवस्था को गति दी.
निर्यात में तेजी – विशेष रूप से अमेरिका को निर्यात बढ़ने से मदद मिली, जो वैश्विक मांग और व्यापार नीतियों से जुड़ा है.
कम मुद्रास्फीति – कम महंगाई दर ने वास्तविक वृद्धि को बढ़ावा दिया, क्योंकि इससे खरीदारी क्षमता बढ़ी.
कृषि और संबंधित क्षेत्रों में सुधार – बेहतर फसल हुई जिसने ग्रामीण अर्थव्यवस्था ने योगदान दिया.

सवाल – क्या भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीले होने के कारण ये संभव हुआ?

– इन सब कारकों के साथ जो सबसे बड़ी बात है वो ये कि भारत के सामने आर्थिक चुनौतियां लगातार आती रहती हैं. जैसे अभी अमेरिकी टैरिफ है लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था की बड़ी मजबूती उसका आर्थिक लचीलापन भी है. मतलब ये भी है कि भारत में ये क्षमता है कि वह समय के हिसाब से उन चुनौतियों से तालमेल बिठाता है और अपने लिए अवसर तलाश लेता है.

सवाल – इससे क्या फायदा है?

– जीडीपी में उछाल से कई लाभ होते हैं, जो अर्थव्यवस्था और समाज को मजबूत बनाते हैं, मसलन इससे रोजगार बढ़ेंगे. लोगों की जेब मजबूत होगी और देश का आर्थिक आत्मविश्वास बढ़ेगा.
रोजगार बढ़ता है – अधिक उत्पादन से नौकरियां बढ़ती हैं, बेरोजगारी कम होती है, खासकर युवाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में.
आय बढ़ती है, जीवन स्तर में सुधार होता है- औसत आय बढ़ने से उपभोग बढ़ता है, जिससे गरीबी कम होती है. शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सेवाओं तक पहुंच बेहतर होती है.
निवेश आता है – मजबूत वृद्धि विदेशी और घरेलू निवेशकों को लुभाती है, जो आगे विकास को बढ़ावा देती है.
सरकारी राजस्व बढ़ता है – अधिक जीडीपी से टैक्स संग्रह बढ़ता है, इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च के लिए फंड देता है.
दुनिया में स्थिति मजबूत बनेगी – ये जीडीपी भारत को दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करता है, जो 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में मदद करता है.
लेकिन इसमें ये ध्यान रखना होगा जीडीपी की बढोतरी समाज के सभी वर्गों तक रिफलेक्ट करे.

सवाल – 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ का असर इस जीडीपी ग्रोथ पर क्या असर डालेगी?

– ये टैरिफ भारत की हालिया जीडीपी वृद्धि पर नकारात्मक असर डालेगी, क्योंकि निर्यात एक प्रमुख ड्राइवर है. हालांकि, असर इस पर निर्भर करेगा कि कितने समय तक यह टैरिफ बनी रहती है. इससे निर्यात में कमी हो सकती है जो जीडीपी को स्लो डाउन करेगी. रुपए में कमजोरी आएगी. स्टॉक मार्केट में गिरावट आ सकती है. कुल मिलाकर, यह टैरिफ जीडीपी उछाल को ब्रेक लगाएगी, लेकिन अगर वार्ता सफल हुई या भारत ने बाजार डाइवर्सिफाई किए, तो असर सीमित रह सकता है.



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