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INDIAN SUBMARINE PLAN: स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन की बात करें तो ये एक अटैक सबमरीन है ये आधुनिक फीचर्स से लैस है. यह दुश्मन की नज़रों से बचकर सटीक निशाना लगा सकती है. इसके साथ ही टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से भी …और पढ़ें

इंडियन नेवी का सबमरीन प्लान
भारतीय नौसेना ने अंडरवॉटर ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए सबमरीन पर फोकस करना काफी पहले से शुरू कर दिया था. साल 1997 में भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने अपने सबमरीन प्रोग्राम को प्रोजेक्ट 75 के तहत 24 सबमरीन प्लान को आगे बढ़ाया. लेकिन 1999 में कारगिल युद्ध के बाद CCS ने अगले 30 साल के सबमरीन बिल्डिंग प्लान के तहत पुराने प्रोजेक्ट 75 को नए प्लान प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत आगे बढ़ाया. इसमें दो प्रोडक्शन लाइन में इन पनडुब्बियों के निर्माण को जारी रखने पर काम शुरू किया गया. अब तकनीक के आदान-प्रदान के चलते भारत में ही पनडुब्बियों का निर्माण हो रहा है. प्रोजेक्ट 75 के तहत स्कॉर्पीन क्लास की पहली पनडुब्बी कलवरी दिसंबर 2017 में भारतीय नौसेना में शामिल हुई. इसके बाद सितंबर 2019 में दूसरी पनडुब्बी खंडेरी, फिर मार्च 2021 में करंज, नवंबर 2021 में वेला और जनवरी 2023 में वगीर पनडुब्बी नौसेना में शामिल की गई. स्कॉर्पीन क्लास की छठी और आखिरी पनडुब्बी वगशीर भी भारतीय नौसेना में शामिल हो चुकी है.
दुनिया में फिलहाल तीन तरह की सबमरीन हैं: डीजल इलेक्ट्रिक पावर्ड सबमरीन, डीजल इलेक्ट्रिक पावर्ड सबमरीन AIP और न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन. फिलहाल भारत के पास 17 डीजल इलेक्ट्रिक पावर्ड सबमरीन और 2 बैलेस्टिक मिसाइल न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन (SSBN) हैं. दो न्यूक्लियर अटैक सबमरीन (SSN) के निर्माण को सरकार ने हरी झंडी दे दी है. पहले स्वदेशी न्यूक्लियर अटैक सबमरीन (SSN) पर भी काम जारी है. साल 2036-2037 तक पहली सबमरीन नौसेना में शामिल हो सकती है.
पाकिस्तानी हंगोर सबमरीन का हश्र होगा PNS गाजी जैसा
1971 में भारत ने पाकिस्तानी सबमरीन PNS गाजी को विशाखापत्तनम के पास मार गिराया था. पाकिस्तान के पास फिलहाल 8 सबमरीन हैं. इसमें चीन में बनी 3 हंगोर क्लास सबमरीन भी शामिल है. अंडरवॉटर वॉरफेयर को मजबूती देने के लिए पाकिस्तान ने साल 2015 चीन से प्रोजेक्ट S-26 के तहत 8 यूआन क्लास एयर इंडिपेंडेंट सबमरीन का करार किया था. इन 8 सबमरीन में से 4 चीन में और बाकी 4 कराची शिपयार्ड में ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत तैयार हो रही हैं. अब तक पाकिस्तान को 3 सबमरीन मिल चुकी हैं. होंगर क्लास सबमरीन चीन के 039B यूआन क्लास सबमरीन का एक्सपोर्ट वर्जन है. होंगर क्लास सबमरीन में खामियों की भरमार है. इसमें से एक है इसका प्रपल्शन सिस्टम और सेंसर. यह उतने मॉर्डर्न नहीं हैं जितने भारतीय नेवी के स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन के हैं. साइज में बड़ी होने के चलते उनकी मनूवरिंग सीमित है. भारतीय एंटी सबमरीन वॉरफेयर तकनीक के सामने यह सबमरीन नहीं टिक सकेगी. प्रतिबंध के चलते जर्मनी के MTU डीजल इंजन होंगर क्लास सबमरीन को नहीं मिल सके. लिहाजा चीन को CHD-620 से ही काम चलाना पड़ा. पनडुब्बी की सबसे बड़ी ताकत उसका “गुप्त रहना” (stealth) होता है. चीनी डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन बाकी सबमरीन के मुकाबले शोर ज्यादा करती है, जिससे उसे ट्रैक करना आसान है. AIP यानी एयर इंडिपेंडट सिस्टम भी चीन में अभी ठीक तरह से परखा नहीं गया है और इसकी विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है. चीनी हथियारों की परफॉर्मेंस ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी दुनिया देख चुकी है.
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