महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर पिछले कुछ दिनों से राजनीति और आंदोलन का माहौल गर्माया हुआ है. मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के नेतृत्व में हुए आंदोलन के बाद सरकार ने कुछ अहम फैसले लिए हैं. इसी बीच राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बृहस्पतिवार को बयान दिया कि सरकार इस मुद्दे पर पूरी तरह सतर्क है और यह सुनिश्चित करेगी कि आरक्षण के मामले को लेकर मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच किसी भी तरह का टकराव न हो.
जरांगे ने सरकार द्वारा उनकी ज्यादातर मागों को माने जाने के बाद मंगलवार को मुंबई में अपना 5 दिवसीय विरोध प्रदर्शन खत्म कर दिया था. उनकी मांगों में पात्र मराठाओं को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र प्रदान करना भी शामिल है, जिससे वे ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण लाभ के पात्र हो जाएंगे.
मराठा समुदाय लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहा है. सरकार ने अब यह व्यवस्था की है कि जिन मराठाओं के पुराने दस्तावेज या रिकॉर्ड उपलब्ध हैं, उन्हें कुनबी प्रमाणपत्र दिलाने में मदद की जाएगी.
कुनबी और ओबीसी का विवाद
कुनबी एक पारंपरिक कृषक समुदाय है जो महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी में शामिल है, लेकिन ओबीसी समुदाय मराठों को इस श्रेणी में शामिल किए जाने का विरोध कर रहे हैं.
ओबीसी नेताओं का कहना है कि अगर मराठाओं को सीधे इस श्रेणी में शामिल किया गया तो ओबीसी वर्ग के असली लाभार्थियों का हिस्सा कम हो जाएगा. यही वजह है कि इस मुद्दे पर दोनों समुदायों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है.
ओबीसी नेताओं की चिंता
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल सहित ओबीसी समुदाय के कई नेताओं ने चिंता व्यक्त करते हुए दावा किया है कि इस कदम से ओबीसी वर्ग के हितों को नुकसान पहुंचेगा.
ओबीसी वर्ग का तर्क है कि पहले से ही उनके आरक्षण के अवसर सीमित हैं, ऐसे में अगर मराठाओं को भी इसमें शामिल कर दिया गया तो उनके बच्चों की नौकरियों और शिक्षा में हिस्सेदारी और कम हो जाएगी.
सरकार की ओर से समितियां गठित
बावनकुले ने कहा, ‘‘राज्य सरकार पूरी तरह से सतर्क है. ओबीसी समुदाय की चिंताओं पर विचार करने और मराठों व ओबीसी दोनों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की खातिर दो समितियां गठित की गई हैं. सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है, और सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि समुदायों के बीच कोई संघर्ष न हो.’’
इससे साफ है कि सरकार फिलहाल किसी भी तरह की जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेना चाहती. दोनों पक्षों की राय लेकर ही आगे का रास्ता तय किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि ‘‘सरकार ने निर्णय लिया है कि मराठों को पुराने रिकॉर्ड के आधार पर ओबीसी प्रमाणपत्र प्राप्त करने में सहायता प्रदान की जाएगी. विदर्भ और मराठवाड़ा में, हैदराबाद राजपत्र की जांच की जाएगी ताकि पात्र व्यक्तियों को प्रमाणपत्र मिल सके.’’
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