Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से हो जाएगा. पहला श्राद्ध 8 सितंबर को प्रतिपदा तिथि पर होगा, इसके बाद 21 सितंबर को सर्व अमावस्या तक पितरों के नाम हर दिन तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म किए जाएंगे.
श्राद्ध कर्म के दौरान पितरों के नाम बने भोजन को ब्राह्मण से पहले कौए को भोजन कराया जाता है क्योंकि इसके बिना पूर्वज अन्न स्वीकार नहीं करते हैं. लेकिन आज के दौर में बमुश्किल कौए देखने को मिलते हैं, ऐसे में पूर्वजों को तृप्त करने के लिए अगर कौए न मिले तो क्या करें आइए जानते हैं.
पितरों का प्रतीक हैं कौवे
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कौवा यम के प्रतीक के रूप में जाना जाता है. पितृ पक्ष के दौरान कौवे का होना पितरों के आस पास होने का संकेत माना जाता है. कहते हैं श्राद्ध के दौरान इसको ग्रास न दें, तो पूर्वज भूखे लौट जाते हैं.
श्राद्ध भोजन के लिए कौवे न मिले तो क्या करें
शास्त्रों में वर्णित है कि कौवा एक मात्र ऐसा पक्षी है जो पितृ-दूत कहलाता है लेकिन शहरों में कौवे विलुप्त होते जा रहे हैं. ऐसे में अगर आप श्राद्ध का भोजन कौवों को नहीं करा पा रहे हैं तो, कौवे के नाम का भोग गाय या कुत्ते को खिला सकते हैं, क्योंकि पितरों का भोजन गाय, कुत्ते, कौवे, चींटी और देवताओं को खिलाया जाता है, इसे पंचबलि भोग कहते हैं.
कौवे को श्राद्ध भोजन कराने का इतिहास
एक कथा के अनुसार, त्रेतायुग में इंद्र के पुत्र जयंत ने कौवे का रूप धारण कर माता सीता को चोंच मार दी थी. तब भगवान श्रीराम ने उसे एक तिनके का बाण मारा था. बाद में, कौवे ने माफी मांगी और प्रभु राम ने उसे वरदान दिया कि आज से कौवे के माध्यम से ही पूर्वजों को मोक्ष मिलेगा.
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