सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (8 सितंबर 2025) को पत्रकार महेश लांगा की जमानत याचिका को लेकर गुजरात सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा. जस्टिस यूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने गुजरात गुजरात हाई कोर्ट की ओर से जमानत देने से इनकार करने को चुनौती देने वाली लांगा की याचिका पर नोटिस जारी किया, लेकिन सवाल किया कि वह किस तरह के पत्रकार हैं.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा, ‘‘वह किस तरह के पत्रकार हैं? पूरे सम्मान के साथ कहें तो कुछ बहुत ही सच्चे पत्रकार हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो स्कूटर पर बैठकर कहते हैं कि हम पत्रकार हैं और वे असल में क्या करते हैं, यह सबको पता है.’’
कपिल सिब्बल ने जवाब दिया कि ये सब आरोप हैं. उन्होंने कहा, ‘‘एक प्राथमिकी में उन्हें अग्रिम जमानत मिल जाती है, फिर दूसरी प्राथमिकी दर्ज होती है और फिर से अग्रिम जमानत मिल जाती है, लेकिन अब उन पर इनकम टैक्स चोरी के आरोप में तीसरी प्राथमिकी दर्ज की गई है. उनके खिलाफ और भी कई आरोप हैं.’’
उन्होंने कहा कि इस मामले की पृष्ठभूमि भी है. कोर्ट ने नोटिस जारी कर अधिकारियों से जवाब मांगा. गुजरात हाई कोर्ट ने 31 जुलाई को धन शोधन मामले में लांगा की जमानत याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी कि अगर उन्हें जमानत पर रिहा किया गया तो अभियोजन पक्ष के मामले पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
ईडी ने 25 फरवरी को कहा था कि उसने कथित वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में लांगा को गिरफ्तार किया है. लांगा को पहली बार अक्टूबर 2024 में जीएसटी धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था.
लांगा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला अहमदाबाद पुलिस की ओर से धोखाधड़ी, आपराधिक गबन, धोखाधड़ी और कुछ लोगों को लाखों रुपये का गलत नुकसान पहुंचाने के आरोपों पर दर्ज दो मामलों के बाद सामने आया है.
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