3 घंटे पहले
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लंदन के एक साउंडस्टेज पर आज एक अजीब-सी उपस्थिति महसूस हो रही है। शायद यह संयोग नहीं है, क्योंकि मैं यहां पहुंचा हूं हॉलीवुड की सबसे चर्चित हॉरर फ्रेंचाइजी “द कॉन्ज्यूरिंग” की आखिरी फिल्म ‘द कॉन्ज्यूरिंग: लास्ट राइट्स’ की शूटिंग देखने। यह फ्रेंचाइजी जेम्स वान और पीटर सैफ्रन ने 12 साल पहले शुरू की थी और अब निर्देशक माइकल चेव्स इसकी अंतिम कड़ी को पर्दे पर उतार रहे हैं।
यह फिल्म असली स्मर्ल केस पर आधारित है 1974 से 1989 तक पेनसिल्वेनिया के एक परिवार ने जिन अलौकिक घटनाओं का सामना किया था। साथ ही यह कहानी एड और लोरेन वॉरेन की भी आखिरी दास्तान होगी, वही दंपति जिनकी पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन ने इस यूनिवर्स को जन्म दिया।
निर्माता पीटर सैफ्रन कहते हैं, “हम चाहते थे कि यह फिल्म दर्शकों को डराए भी और रुलाए भी। यही कॉन्ज्यूरिंग की पहचान है डर के साथ गहरी भावनाएं।”
निर्देशक माइकल चेव्स जोड़ते हैं, “यह वॉरेन्स की यात्रा का अंत है। मैं चाहता था कि इस कहानी का समापन भावनात्मक रूप से मज़बूत हो और दर्शकों को पहले से बड़ा अनुभव मिले।”
जेम्स वान भी भावुक हैं। वे कहते हैं, “कॉन्ज्यूरिंग यूनिवर्स ने मुझे ऐसे दोस्त दिए जो अब परिवार जैसे हैं। वीरा फार्मिगा और पैट्रिक विल्सन (लोरेन और एड वॉरेन) इस सफर के स्तंभ हैं। उनके बिना यह मुमकिन नहीं होता।”
वीरा फार्मिगा, जिन्होंने लोरेन का किरदार चार फिल्मों तक निभाया, कहती हैं, “12 साल का यह सफ़र बहुत भावुक रहा है। पैट्रिक के साथ काम करना हमेशा परिवार जैसा लगा। यह आखिरी फिल्म मेरे लिए बेहद खास है।”
पैट्रिक विल्सन इसे दर्शकों का तोहफा मानते हैं। वे कहते हैं, “जब पहली फिल्म बनी थी, तो जेम्स वान ने कहा था कि अगर हमने इसे सही किया, तो हम एक और बना पाएंगे। कोई नहीं सोच सकता था कि 12 साल बाद हम 4 कॉन्ज्यूरिंग, 3 एनेबेल और 2 नन फिल्मों तक पहुंचेंगे। यह सब सिर्फ फैंस की वजह से है।”
इस बार दर्शकों को एक नया सरप्राइज भी मिलेगा। वॉरेन्स की बेटी जुडी वॉरेन (मिया टॉमलिन्सन) कहानी के केंद्र में होगी। जुडी के किरदार को लेकर हमेशा रहस्य रहा है, और अब पहली बार वह पूरी तरह सामने आएगी।
बेन हार्डी, जो जुडी के बॉयफ्रेंड टोनी का किरदार निभा रहे हैं, बताते हैं, “इस फ़िल्म में एड और लोरेन अपने पहले केस से जुड़े एक पुराने आर्टिफैक्ट का सामना करते हैं। यह वही केस है जो जुडी के जन्म से भी जुड़ा है। यानी यह वॉरेन्स की कहानी का असली ‘फाइनल रेकनिंग’ है।”
यह आर्टिफैक्ट है एक प्राचीन दर्पण, जिसके ऊपर तीन शिशु चेहरे उकेरे गए हैं। निर्देशक चेव्स कहते हैं, “दर्पण माता-पिता और बच्चों के बीच एक प्रतीकात्मक संबंध दिखाता है। यह बताता है कि बच्चे किस तरह अपने माता-पिता का प्रतिबिंब होते हैं।”
फ़िल्म की शूटिंग के दौरान पूरा सेट एक परिवार जैसा माहौल बनाए रखता है। स्मर्ल परिवार के कलाकार, वॉरेन्स और तकनीकी दल सब मिलकर हंसी-मज़ाक करते दिखते हैं। यही तो कॉन्ज्यूरिंग की असली ताक़त रही है—यह एक डरावनी कहानी होते हुए भी परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है।
निर्माता सैफ्रन कहते हैं, “जब हमने पहली कॉन्ज्यूरिंग बनाई थी, तो मक़सद बस एक शानदार हॉरर फिल्म बनाना था। लेकिन आज यह एक पूरा यूनिवर्स बन चुका है। इसकी सफलता की वजह सिर्फ एक है लोगों का एड और लोरेन वॉरेन के परिवार से भावनात्मक जुड़ाव।”
अब जब यह सफ़र आखिर की ओर बढ़ रहा है, तो पूरी टीम के दिल में एक कसक है। लेकिन जैसा जेम्स वान कहते हैं – “हर अच्छी चीज का एक अंत होता है।”
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