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क्या उद्धव ठाकरे ने दिया इंडिया ब्लॉक को दगा? शिवसेना के इतिहास में छिपा राज़ TODAY TOP NEWS

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Vice President Election Result: उपराष्ट्रपति चुनाव में सीपी राधाकृष्णन को उम्मीद से कहीं ज़्यादा 452 वोट मिले. इस दौरान विपक्षी इंडिया गठबंधन के खेमे से भी कम से कम 15 वोट एनडीए प्रत्याशी के खाते में गए. इस क्र…और पढ़ें

क्या उद्धव ठाकरे ने दिया इंडिया ब्लॉक को दगा? शिवसेना के इतिहास में छिपा राज़उपराष्ट्रपति चुनाव में इंडिया ब्लॉक के करीब 15 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की.
उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने भारी अंतर से जीत दर्ज की है. राधाकृष्णन को उम्मीद से कहीं ज़्यादा 452 वोट मिले. संसद के दोनों सदनों को मिलाकर एनडीए की ताक़त 427 मानी जा रही थी, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों ने बता दिया कि विपक्षी खेमे से भी कम से कम 15 वोट एनडीए प्रत्याशी के खाते में गए. सवाल अब उठ रहा है कि आखिर ये अतिरिक्त वोट कहां से आए और किसने विपक्षी एकजुटता को दरका दिया.
सूत्रों के मुताबिक, उपराष्ट्रपति चुनाव में महाराष्ट्र के भी 6-7 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की है. इसी बहस के बीच राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) ने भले ही विपक्षी गठबंधन इंडिया के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी का समर्थन करने का ऐलान किया हो, लेकिन इशारों-इशारों में अपने सांसदों को क्रॉस वोटिंग की छूट दे दी.

शिवसेना का इतिहास देख उठ रहा शक

ये अटकलें इसलिए और भी तेज़ हैं, क्योंकि इससे पहले भी उद्धव ठाकरे राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए अलग रास्ता अपनाते रहे हैं. उदाहरण के तौर पर, जब कांग्रेस की प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार थीं, उस वक्त शिवसेना एनडीए का हिस्सा होते हुए भी कांग्रेस के पक्ष में खड़ी हो गई थी. शिवसेना ने तब साफ कहा था कि पाटिल महाराष्ट्र की बेटी हैं, इसलिए उसने एनडीए लाइन से हटकर उन्हें वोट दिया.

उपराष्ट्रपति चुनाव और उद्धव का दुविधा भरा रुख

इस बार भी स्थिति कुछ वैसी ही दिखी. महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव ठाकरे खुद को बीजेपी से अलग पहचान दिलाना चाहते हैं, लेकिन साथ ही विपक्षी एकता के भीतर उनका स्थान लगातार चुनौती में है. सूत्र बताते हैं कि उद्धव ने पार्टी सांसदों को खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन इतना ज़रूर जताया कि ‘अंतिम फ़ैसला अंतरात्मा की आवाज़ से करें.’ इसे ही क्रॉस वोटिंग की अप्रत्यक्ष इजाजत के तौर पर देखा जा रहा है.

राधाकृष्णन पर क्यों मेहरबान ठाकरे

दिलचस्प यह है कि राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के तौर पर कार्य किया था और उस दौरान उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए, जिन्हें स्थानीय स्तर पर सकारात्मक माना गया. भाजपा नेताओं का दावा है कि इसी वजह से उद्धव गुट के कुछ सांसद भी उनकी तरफ झुक गए और क्रॉस वोटिंग कर दी.

एनडीए को मिले अतिरिक्त वोटों ने विपक्षी एकता की पोल खोल दी है. विपक्षी खेमे में पहले ही सवाल उठ रहे हैं कि आखिर किसने अपने उम्मीदवार का साथ छोड़ा. आरोपों के घेरे में आप और शिवसेना (उद्धव गुट) दोनों हैं, हालांकि दोनों पार्टियों ने इसका खंडन किया है.

अगर वाकई शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की है तो ये सिर्फ़ एक चुनावी घटना नहीं बल्कि राजनीतिक संदेश भी है. संदेश यह कि उद्धव ठाकरे अभी भी अपने रास्ते को खुला रखना चाहते हैं और भविष्य में बीजेपी या एनडीए के साथ समझौते का दरवाज़ा पूरी तरह बंद नहीं कर रहे. इस तरह उपराष्ट्रपति चुनाव ने न सिर्फ़ सत्ता-पक्ष बल्कि विपक्ष के भीतर की दरारों और इशारों की राजनीति को भी उजागर कर दिया है.

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Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T…और पढ़ें

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