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क्या होता है झटका मीट, जिसे हिंदुओं को खाने की सलाह दी गिरिराज सिंह ने TODAY TOP NEWS


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Jhatka-Halal Row: केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने हिंदुओं को हलाल मीट से परहेज करने और झटका मीट खाने की सलाह दी है. जानिए क्या होता है झटका मीट और हलाल मीट?

क्या होता है झटका मीट, जिसे हिंदुओं को खाने की सलाह दी गिरिराज सिंह नेगिरिराज सिंह ने हिंदुओं से सनातन धर्म की रक्षा के लिए झटका मीट खाने का आग्रह किया है.
Jhatka-Halal Row: केंद्रीय कपड़ा मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता गिरिराज सिंह ने हिंदुओं से सनातन धर्म की रक्षा के लिए हलाल मीट से परहेज करने और इसके बजाय झटका मीट खाने का आग्रह करके विवाद खड़ा कर दिया है. गिरिराज सिंह ने यह टिप्पणी शनिवार (30 अगस्त, 2025) को बिहार के मधुबनी जिले में एक मीट की दुकान ‘झटकाज़’ का दौरा करते हुए की. उनकी टिप्पणियों के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किए जा रहे हैं. हलाल और झटका पशु वध के दो तरीके हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि झटका को कम दर्दनाक माना जाता है.

गिरिराज सिंह ने झटका मीट न खाने के लिए मुस्लिम समुदाय का भी धन्यवाद किया. उन्होंने कहा, “मैं झटका मीट न खाने के लिए मुसलमानों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं. यहां तक कि आपके करीबी दोस्त जो मुस्लिम हैं, अगर आपके घर आते हैं, तो वे भी झटका मीट नहीं खाएंगे. मैं मुसलमानों का सम्मान करता हूं क्योंकि वे अपने धर्म के प्रति समर्पित होते हैं. वे जीवन भर मुसलमान ही रहते हैं. जब उनकी मृत्यु होती है, तो उन्हें उनकी मान्यताओं के अनुसार अलग से दफनाया जाता है.”

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पहले भी उठा चुके हैं यह मुद्दा
यह पहली बार नहीं है जब गिरिराज सिंह ने यह मुद्दा उठाया हो. 2023 में गिरिराज सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कहा था कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र में हलाल मीट का कारोबार एक देशद्रोह है. उन्होंने उत्तर प्रदेश की तरह बिहार में भी हलाल सर्टिफिकेट वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. बिहार के बेगूसराय में एक मीट की दुकान का नाम गिरिराज सिंह के नाम पर रखा गया है. इसे ‘गिरिराज अमर झटका मीट’ कहा जाता है. आखिर क्या है हलाल और झटका मीट. आखिर इन दोनों मांस में किस तरह का अंतर होता है. हम आपको बताएंगे कि पोषण के आधार पर भी दोनों में किसी तरह का अंतर होता है या नहीं.

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क्या होता झटका मीट
झटका शब्द का हिंदी में अर्थ है त्वरित यानी तेज. इस प्रक्रिया में जानवर का सिर एक ही वार में धड़ से अलग हो जाता है और वह तुरंत मर जाता है. झटका में एक ही झटके में धारदार हथियार से जानवर की गर्दन पर प्रहार किया जाता है ताकि जानवर बिना दर्द के एक झटके में मर जाए. कहा जाता है कि झटका में जानवरों को मारने से पहले उनके दिमाग को शून्य कर दिया जाता है ताकि उसे दर्द का एहसास न हो. ऐसा माना जाता है कि जानवर जितना कम संघर्ष करेगा मांस उतना ही बेहतर होगा. जब जानवरों को चोट लगती है, तो उनकी मांसपेशियों में ग्लाइकोजन की मात्रा सक्रिय हो जाती है और यह मांस को सख्त बना देती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मीट को नरम और रसदार बनाए रखने के लिए वध के बाद पीएच स्तर लगभग 5.5 होना चाहिए. झटका मीट में PH मान 7 के बराबर होता है. भारत में सिख समुदाय झटका मीट खाना पसंद करता है. 

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हलाल मीट क्या है?
हलाल मीट इस्लामी आहार कानूनों का एक प्रमुख तत्व है. अरबी शब्द हलाल का अर्थ है इसको खाने की आज्ञा है. ये नियम न केवल मुसलमानों द्वारा खाए जा सकने वाले जानवरों की प्रजातियों को कवर करते हैं, बल्कि उन जानवरों को मारने के तरीके को भी कवर करते हैं. इस विधि में जानवर का जीवित और स्वस्थ होना शामिल है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि हलाल स्वास्थ्यवर्धक है. क्योंकि वध के बाद धमनियों से रक्त निकाल दिया जाता है जिससे अधिकांश विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं. क्योंकि पशु के वध के बाद भी हृदय कुछ सेकंड तक रक्त पंप करता रहता है. मृत शरीर से खून निकालना अनिवार्य है. किसी भी जानवार को मारने से पहले अल्लाह का नाम एक पंक्ति की दुआ में लिया जाना चाहिए, जिसे तसमिया कहा जाता है. जानवर को मारने से पहले मुसलमानों के लिए ‘बिस्मिल्लाह’ (अल्लाह के नाम पर) से शुरू होने वाली एक छोटी दुआ पढ़ना एक अनिवार्य शर्त है.

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तेजी से बढ़ रहा हलाल का कारोबार
भारत मुख्य रूप से पश्चिम एशिया को मीट एक्सपोर्ट करता है, जहां हलाल सर्टिफिकेट जरूरी है. इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार वैश्विक हलाल खाद्य बाजार 2021 में 1.97 ट्रिलियन डॉलर का था और 2027 तक इसके 3.9 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. केन रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का हलाल खाद्य बाजार 2023 में 19 बिलियन डॉलर का था. भारत का हलाल मीट निर्यात सरकारी समर्थन, नियामक अनुपालन और बढ़ती वैश्विक मांग के कारण वृद्धि की राह पर है. आईएमएआरसी मूह के अनुसार 2024 में बाजार का आकार 285.3 मिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा. समूह को उम्मीद है कि 2033 तक बाजार 772.3 मिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो 2025-2033 के दौरान 10.60% की वृद्धि दर दर्शाता है.

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विपक्ष ने की आलोचना
राजद ने कहा कि गिरिराज सिंह को लोगों को उनके खान-पान की आदतों पर उपदेश देने के बजाय अपने विभाग पर ध्यान देना चाहिए. राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा, “केंद्रीय कपड़ा मंत्री अपने विभाग और जिम्मेदारियों के प्रति ईमानदार नहीं हैं. उन्होंने अपने विभाग के जरिए रोजगार और रोजगार मुहैया कराने की कभी बात नहीं की. वह सिर्फ धर्म की बात करते हैं.” अहमद ने यह भी कहा कि संविधान लोगों को अपनी पसंद के अनुसार खाने-पीने की अनुमति देता है. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी गिरिराज सिंह की निंदा की. उन्होंने ‘द हिंदू’ से कहा, “जो लोग ‘कपड़े’ के लिए जिम्मेदार हैं, वही लोग कपड़े को खराब करने में लगे हैं. टैरिफ से परेशान उनका अपना कपड़ा मंत्रालय अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहा है और वे देश भर को सलाह बांट रहे हैं. यह बेहद निंदनीय है.” 

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